प्रस्तावना
बैंक, गृह मंत्रालय और वित्तीय सेवाएं विभाग द्वारा जारी राजभाषा संबंधी दिशा-निर्देशों का कड़ाई से अनुपालन करता है। बैंक द्वारा क्षेत्रीय भाषाओं को बढ़ावा देने के लिए भी कार्य किए जा रहे हैं । बैंक द्वारा ‘अंग्रेज़ी-हिंदी-पंजाबी’ त्रिभाषी शब्दावली का प्रकाशन किया जा चुका है जिसके लिए वित्त मंत्रालय द्वारा प्रशंसा पत्र भी प्राप्त हो चुका है । साथ ही हिंदी कार्यशालाओं के साथ-साथ ‘ख’ तथा ‘ग’ क्षेत्र की शाखाओं के लिए प्रादेशिक भाषा में कार्यशालाओं के लक्ष्य भी आबंटित किए जाते हैं । इसी प्रकार ‘ग’ क्षेत्र के सभी कार्यालयों में हिंदी कार्यशालाओं में स्थानीय भाषा के सत्र लगाए जाने संबंधी आदेश भी दिए गए हैं । बैंक ने अपनी हिंदी पत्रिका ‘राजभाषा अंकुर’ में भी किसी न किसी क्षेत्रीय भाषा की रचना तथा उसका अनुवाद भी प्रकाशित करना प्रारंभ किया है । इस क्रम में अब तक उड़िया, बंगला, संथाली, मराठी, पंजाबी, मणिपुरी, तमिल, असमिया, तेलगु और गुजराती भाषाओं की रचनाओं को प्रकाशित किया जा चुका है । उल्लेखनीय है कि क्षेत्रीय भाषाओं की सभी रचनाओं के साथ-साथ उनका मूल हिंदी रूप भी प्रकाशित किया जाता है । इससे एक ओर हिंदीत्तर भाषा-भाषी स्टाफ सदस्य पत्रिका के साथ अपना जुड़ाव महसूस करते हैं, वहीं दूसरी ओर हिंदी जानने वाले स्टाफ सदस्य उस क्षेत्र विशेष की पृष्ठभूमि व संस्कृति की जानकारी हासिल कर सकते हैं ।